मुक्तक
नदिया का मकसद, मीठा जल ले जाना,
पशु पक्षी मानव, धरा की प्यास बुझाना।
समन्दर की चाहत, बस नदिया को पाना,
नदिया का लक्ष्य, बिन थके बढ़ते जाना।
तसव्वुर में अपने सदा याद रखना,
जीवन मतलब मानवता का सपना।
शिकवे शिकायत राह की रूकावट,
रूकावटें हटाकर सदा आगे बढ़ना।
नकारात्मकता अगर चिंतन में आये,
प्रगति पथ में रूकावट बन छा जाये।
सकारात्मक जरा सोच कर तो देखो,
मुश्किल सफर मार्गदर्शक बन भाये।
— डॉ. अ. कीर्तिवर्द्धन