राजनीति

ईरान के क्लस्टर बम ने इजरायल बैकफुट पर ढकेला

ईरान-इजरायल युद्ध के सातवें दिन ईरान द्वारा इजरायल पर दागे गये क्लस्टर मिसाइल बम अत्याधिक घातक साबित हुए। ईरान के इस हमले ने इजरायल के नागरिकों का मनोबल बुरी तरह से तोड़ दिया है।क्लस्टर बमें जिन्हें गुच्छ युद्ध सामग्री  भी कहा जाता है,क्लस्टर बम दुनिया के सबसे घातक और विवादास्पद हथियारों में से एक हैं। ये बम अपनी व्यापक विनाशकारी क्षमता और दीर्घकालिक प्रभावों के कारण युद्ध क्षेत्र में तबाही मचाने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं। युद्ध के दौरान ईरान द्वारा इजरायल पर इसके उपयोग ने इस मिसाइल के प्रति लोगों का वैश्विक ध्यान केन्द्रित कर दिया है।क्लस्टर बम एक प्रकार का विस्फोटक हथियार है जो हवा में या जमीन से छोड़ा जाता है। यह एक बड़े खोल (कैनिस्टर) के रूप में होता है, जिसमें सैकड़ों छोटे-छोटे विस्फोटक उपकरण, जिन्हें सबम्युनिशन या बॉमलेट्स कहते हैं, भरे होते हैं। ये बॉमलेट्स विभिन्न प्रकार के हो सकते हैं, जैसे कि टैंक-रोधी, कर्मी-विरोधी, या आग लगाने वाले। इनका मुख्य उद्देश्य एक बड़े क्षेत्र में फैलकर अधिकतम नुकसान पहुंचाना है। एक क्लस्टर बम का प्रभाव क्षेत्र कई क्रिकेट मैदानों जितना बड़ा हो सकता है, जिससे यह सैन्य टुकड़ियों, वाहनों, या अन्य लक्ष्यों को व्यापक स्तर पर नष्ट कर सकता है।

क्लस्टर बम कैसे काम करता है?
क्लस्टर बम की कार्यप्रणाली इसे अन्य पारंपरिक बमों से अलग करती है। इसे हवाई जहाज, हेलीकॉप्टर, या मिसाइलों के जरिए लक्ष्य क्षेत्र में छोड़ा जाता है। जब यह अपने लक्ष्य के ऊपर पहुंचता है, तो इसका खोल हवा में खुल जाता है, जिससे अंदर मौजूद सैकड़ों बॉमलेट्स बिखर जाते हैं। ये बॉमलेट्स एक बड़े क्षेत्र में फैलकर विस्फोट करते हैं, जिससे व्यापक विनाश होता है। हाल ही में इजरायल-ईरान युद्ध में ईरान द्वारा बैलिस्टिक मिसाइलों के जरिए क्लस्टर बमों छोड़े जाने के दौरान देखा गया कि इसके वारहेड्स नीचे गिरते समय छोटे-छोटे बमों में बंट जाते हैं, जो बड़े क्षेत्र में तबाही मचाते हैं। प्रत्येक बॉमलेट स्वतंत्र रूप से विस्फोट करता है और अपने आसपास के लक्ष्यों को नष्ट करता है। कुछ बॉमलेट्स तुरंत विस्फोट नहीं करते, बल्कि बारूदी सुरंग की तरह जमीन पर पड़े रहते हैं, जो बाद में नागरिकों के लिए खतरा बन जाते हैं।
   क्लस्टर बमों की सबसे बड़ी खासियत उनकी व्यापक कवरेज है। ये एक साथ सैन्य और असैन्य लक्ष्यों को निशाना बना सकते हैं, जिसके कारण ये अत्यंत प्रभावी माने जाते हैं। हालांकि, यही खासियत इन बमों को विवादास्पद भी बनाती है। 2008 में क्लस्टर युद्ध सामग्री पर कन्वेंशन Convention on Cluster Munitions के तहत 100 से अधिक देशों ने इनके उत्पादन, भंडारण और उपयोग पर प्रतिबंध लगाने की सहमति दी थी। यह समझौता एक अगस्त 2010 से लागू हुआ। फिर भी, कुछ देशों ने इस संधि पर हस्ताक्षर नहीं किए, जिसके कारण क्लस्टर बम आज भी युद्धों में उपयोग हो रहे हैं।

किन देशों के पास हैं क्लस्टर बम?

क्लस्टर बमों के भंडार और उनके उपयोग को लेकर सटीक आंकड़े प्राप्त करना मुश्किल है, क्योंकि कई देश अपनी सैन्य क्षमताओं को गोपनीय रखते हैं। फिर भी, कुछ देशों के पास इन हथियारों के होने की जानकारी उपलब्ध है। ’संयुक्त राज्य अमेरिका ने क्लस्टर बमों का बड़े पैमाने पर उपयोग और उत्पादन किया है। हाल ही में, उसने यूक्रेन को सैन्य सहायता के रूप में क्लस्टर बम प्रदान किए, जिसकी कई देशों ने आलोचना की। अमेरिका ने सीसीएम पर हस्ताक्षर नहीं किया है, इसलिए वह इन हथियारों का उपयोग और आपूर्ति जारी रखता है। रूस के पास भी क्लस्टर बमों का बड़ा भंडार है। यूक्रेन युद्ध में रूस पर इन बमों के उपयोग का आरोप लगा है। रूस ने भी सीसीएम संधि पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं।
 हाल के इजरायल-ईरान युद्ध में, ईरान द्वारा बैलिस्टिक मिसाइलों के जरिए क्लस्टर बमों के उपयोग की खबरें सामने आई हैं। ईरान ने भी सीसीएम पर हस्ताक्षर नहीं किया है। इजरायल के पास क्लस्टर बम होने की संभावना है, हालांकि इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। चीन और भारत ने भी सीसीएम संधि पर हस्ताक्षर नहीं किया है और संभवतः उनके पास क्लस्टर बमों का भंडार है, हालांकि सटीक संख्या अज्ञात है। कई अन्य देशों, जैसे पाकिस्तान, उत्तर कोरिया, और सऊदी अरब, के पास भी क्लस्टर बम हो सकते हैं, लेकिन इसकी पुष्टि करने वाले विश्वसनीय आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं।
गौरतलब हो, क्लस्टर बमों का उपयोग मानवीय और नैतिक दृष्टिकोण से अत्यंत विवादास्पद है। इनके अंधाधुंध प्रभाव के कारण असैन्य नागरिकों, विशेष रूप से बच्चों, को भारी नुकसान होता है। युद्ध समाप्त होने के बाद भी, गैर-विस्फोटित बॉमलेट्स बारूदी सुरंगों की तरह काम करते हैं, जिससे दीर्घकालिक खतरा बना रहता है। मानवाधिकार संगठनों, जैसे एमनेस्टी इंटरनेशनल और ह्यूमन राइट्स वॉच, ने इनके उपयोग की कड़ी निंदा की है।

क्लस्टर बम एक शक्तिशाली और विनाशकारी हथियार है, जिसकी व्यापक कवरेज और दीर्घकालिक प्रभाव इसे युद्धक्षेत्र में खतरनाक बनाते हैं। हालांकि, इसके अंधाधुंध उपयोग और नागरिकों पर पड़ने वाले प्रभावों के कारण यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विवाद का विषय बना हुआ है। 100 से अधिक देशों ने इसके उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया है, लेकिन प्रमुख सैन्य शक्तियाँ, जैसे अमेरिका, रूस, और ईरान, इसका उपयोग और भंडारण जारी रखे हुए हैं। क्लस्टर बमों का भविष्य युद्धों में उनके उपयोग और वैश्विक प्रतिबंधों के बीच एक जटिल बहस का विषय बना रहेगा।

अजय कुमार

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