चौपाई
शिव शंकर की महिमा न्यारी।
भक्तों को लगती है प्यारी।।
शिव मन्दिर में भीड़ लगी है।
जल अर्पण की होड़ मची है।
अपने प्रभु पर करो भरोसा।
खुद को भी मत दीजै दोसा।।
जीवन सफल आपका होगा।
मत रोना जो कल था भोगा।।
सरल सहज हमको रहना है।
सच्चे सतगुरु का कहना है।।
वाकयुद्ध पड़ती है भारी।
फिर क्यों हम होते बलिहारी।।
अब रिश्तों की माया भारी।
कैसी है ये दुनिया दारी।।
रिश्तेदारी सबको प्यारी।
दुख देती है बारी- बारी।।
नतमस्तक हो करिए यारी।
हो जायेंगे सब बलिहारी।।
दुनिया ऐसा चाह रही है।
रीति आज की यही सही है।।