ब्लॉग/परिचर्चासामाजिक

अमीरी सबके लिए

( पहले देखिए  1-शाँति, सबके लिए   और 2- सेहत, सबके लिए)

शान्ति का समृद्धि से, अमीरी से सीधा सम्बंध है। आपने देखा होगा कि जिस परिवार में लड़ाई-झगड़े रहते हैं। वे नौकरी, बिज़नेस या खेती, कुछ भी ठीक ढंग से नहीं कर पाते। पति घर से लड़ाई करके निकलेगा तो वह किसी न किसी छोटे-बड़े हादसे का शिकार हो जाएगा या फिर वह लोगों से ऐसी मामूली बातों पर भी लड़ता फिरेगा, जिन्हें वह रोज़ाना नज़रअन्दाज़ कर देता था। घर में पत्नी और बच्चों की शान्ति भी लुट चुकी होती है। जो चीज़ इन्सान की रक्षा करती है, वह शान्ति है। शान्ति के लुट जाने के बाद पत्नी और बच्चे भी किसी हादसे का शिकार हो सकते हैं। कई बार ऐसी घटनाएं घटती हैं जिनमें माँ पहले अपने बच्चों को नदी में फेंक देती है या अपने ही हाथों ज़हर देती है और फिर ख़ुद भी अपनी जान दे देती है।
ऐसा क्यों हुआ?
जो माँ अपने बच्चों की मक्खी-मच्छर तक से हिफ़ाज़त करती थी, अचानक वह इतनी क्यों बदल गई कि उसी मुहब्बत करने वाली माँ ने अपने बच्चों की जान ले ली?
केवल अशान्ति के कारण।
मन शान्त हो तो कोई माँ अपने बच्चों की जान नहीं ले सकती। घरेलू कलह रोज़गार के चौपट होने से लेकर घर के उजड़ने तक का कारण बन रही है। अदालतों और पंचायतों में सुनवाई के लिए आने वाले लाखों झगड़े इसका सुबूत हैं। जज और सरपंच इन्हें सलाह दे सकते हैं या फिर इन्हें सज़ा दे सकते हैं लेकिन वे इन्हें शान्ति नहीं दे सकते।
बरेली में एक युवक उपेन्द्र ने ट्रेन से कटकर आत्महत्या कर ली। पता चला कि उसके मां-बाप मर चुके थे। वह पांच भाई बहनों के साथ अपनी बड़ी बहन सुनीता के पास आ गया था। उसका पति अरूण भी मज़दूरी करके घर चलाता था। उपेन्द्र भी उसके साथ प्लाईवुड फ़ैक्ट्री में मज़दूरी करने लगा। घर का ख़र्च खींचतान के साथ चल रहा था। सुनीता ने बताया कि गुरूवार की शाम को उपेन्द्र के भानजे-भानजी उससे कोल्ड ड्रिंक पिलाने की ज़िद करने लगे। बच्चों के बार बार कहने से वह अशान्त हो गया और उसने अपनी जान दे डाली। हिन्दुस्तान पृष्ठ 9 मेरठ संस्करण दिनांक 14.07.13
बेंगलुरू भारत का सबसे बड़ा एजुकेशन हब है। यहां पैसे वाले पढ़ते हैं। इनके सामने उपेन्द्र जैसी ग़रीबी की कोई समस्या नहीं होती। इसके बावुजूद भारत में इसी शहर के लोग सबसे ज़्यादा आत्महत्या करते हैं। शहर-शहर, गांव-गांव लोग आत्महत्या कर रहे हैं। सबके कारण अलग-अलग बताए जाते हैं लेकिन सब कारणों का मूल केवल एक ही कारण है और वह है ‘मन की शान्ति खो देना’। जिसने मन की शान्ति खो दी है। वह कभी भी किसी के साथ भी और कुछ भी कर सकता है। जीवन अनमोल है, इसकी कोई क़ीमत नहीं है लेकिन शान्ति खो देने वाले की नज़र में इसकी कोई अहमियत नहीं रह जाती।
हमने अपने एक डाक्टर दोस्त को देखा है कि सुबह के वक्त जब उन्हें अपने क्लीनिक पर होना चाहिए था, तब वह अपनी बीवी से लड़ रहे होते थे। उनके क्लीनिक पर उनके मरीज़ इन्तेज़ार करके थक कर कहीं और चले जाते थे, तब डाक्टर साहब वहां पहुंचते थे और तब भी उनका मूड ख़राब रहता था। बाद में आने वाले मरीज़ों के लिए सही दवा का चुनाव करना भी उनके लिए मुश्किल हो जाता था जबकि वह एक क़ाबिल डाक्टर हैं। उनका क्लीनिक उजड़ गया। आमदनी ख़त्म हो गई। उन पर बाज़ार का क़र्ज़ चढ़ गया। कई बार उनके एक्सीडेन्ट हुए। बाहर के लोगों से उनके बेवजह के झगड़े भी होते रहे और एक रोज़ उन्होंने आत्महत्या के बारे में भी सोचा लेकिन बस सोचकर ही रह गए।
फिर उन्होंने शहर बदला और अपनी सोच बदली। उनके हालात ख़ुद ही बदलते चले गए। अब वह ख़ुशहाल हैं और एक ताज़ा मुलाक़ात में उन्होंने अपनी ख़ुशहाली का राज़ अपने घर की शान्ति को बताया था।
अगर आपका मन शान्त है तो आपका मन एकाग्र होकर तरक्क़ी का उपाय सोच सकता है और अगर आप सोच सकते हैं तो आप कुछ भी कर सकते हैं।
विचार एक ज़बर्दस्त शक्ति है।
दुनिया में आज जो भी तरक्क़ी है। इस सबके पीछे विचार की शक्ति का ही चमत्कार है। एक आयडिया आपकी ज़िन्दगी को बदल सकता है और मन शान्त हो तो सैकड़ों आयडिए ख़ुद ही आते रहते हैं, जिनके ज़रिये आदमी धन-दौलत का ढेर लगा सकता है।
दौलत का ढेर लगा देना है तो पहले अपने मन को शान्ति दो। इसके बाद दौलत आएगी और तब वह आपके लिए बरकत वाली साबित होगी। आप उससे नफ़ा उठा पाएंगे। इसके खि़लाफ़ अगर आपने शान्ति को उपलब्ध हुए बिना ही दौलत कमाना शुरू कर दिया तो आएगी वह तब भी लेकिन तब वह आपको खाती रहेगी। आप उसे जिस काम में भी लगाएंगे, वहीं नई नई समस्याएं जन्म लेंगी। आपकी नींद कम और ब्लड प्रेशर ज़्यादा हो जाएगा। ऐसा होते ही आप उस रास्ते पर बढ़ने लगेंगे जहां डाक्टर की सुई से लेकर उसका चाक़ू तक, सब आपको अपना इन्तेज़ार करते हुए मिलेंगे।
जिन शानदार अस्पतालों में आप अपना इलाज करवाते हैं, क्या कभी आपने उनकी आलीशान बिल्डिंग, ट्रेन्ड स्टाफ़ और विदेशी मशीनें देखकर यह सोचा है कि यह सारा इन्तेज़ाम आप जैसे मरीज़ों के धन से ही किया जाता है। जो धन बिना शान्ति के कमाया जाएगा, वह अस्पताल, पुलिस, कचहरी, तांत्रिक से लेकर दहेज लोभियों तक कहीं भी जा सकता है लेकिन वह आपको कभी नफ़ा न देगा।
इन्सान की असल दौलत शान्ति है। अगर उसके पास शान्ति है तो उसकी दौलत उसकी सेविका (ख़ादिमा) है वर्ना वह उसकी जान की दुश्मन है।
एक दौलत हर इन्सान के पास है, जो कि शान्ति से भी बड़ी है। वह है उसका जीवन। शान्ति चली जाए तो उसे दोबारा लौटाना मुमकिन है लेकिन अगर जीवन चला जाए तो फिर उसे लौटाना मुमकिन नहीं है। अगर किसी का जीवन ही न रहे तो फिर उसके लिए दुनिया की दौलत की कोई वैल्यू नहीं रह जाती।
आपका जीवन अनमोल है, इसकी कोई क़ीमत नहीं है। असल चीज़ जान है। जान है तो जहान है। आपकी जान आपके लिए सारे जहाँ की दौलत से बढ़कर है। आप इस बात को जितनी ज़्यादा गहराई से रियलाइज़ करेंगे, उतनी ज़्यादा आपको शान्ति मिलेगी। आप ख़ुद को एक अनमोल चीज़ के साथ, जीवन के साथ पाएंगे।
आप ज़िन्दा हैं, यह सबसे बड़ी बात है। हम ज़िन्दा हैं, यह शान्ति की बात है। हम आज़ादी के साथ ज़िन्दा हैं। हमें शायद अहसास नहीं है कि आज़ादी कितनी बड़ी दौलत है और हमारी आज़ादी के लिए हज़ारों लोगों ने अपनी अनमोल जानें क़ुर्बान की हैं? हमें याद रखना चाहिए कि हमारी ज़िन्दगी बहुत से शहीदों की अहसानमन्द भी है। उन्होंने क़ुर्बानियाँ दीं ताकि हम शान्ति के साथ जी सकें। लिहाज़ा अब हमें शान्ति से जीकर उनके सपने को साकार करना चाहिए। हमारी तरफ़ से उनके प्रति इससे ज़्यादा सच्ची श्रद्धांजलि कोई दूसरी नहीं हो सकती।
हम ज़िन्दा हैं, हम आज़ाद हैं और हम शान्त हैं तो हम सच्ची और अनमोल दौलत से मालामाल हैं। अमीर तो हम पहले से ही हैं। हमें अपनी अमीरी के शऊर को, उसकी चेतना को जगाना होगा और ऐसा होते ही दुनिया की दूसरी दौलतें भी ख़ुद ब ख़ुद बहकर आने लगती हैं। क़द्रदान की तलाश हरेक चीज़ करती है, दौलत भी करती है।

One thought on “अमीरी सबके लिए

  • विजय कुमार सिंघल

    एक और अच्छा लेख, डाक्टर साहब.
    पहला सुख निरोगी काया, दूजा सुख घर होवे माया.
    हालाँकि धन संपत्ति सब कुछ नहीं है, लेकिन इसके अभाव में आदमी का जीवन नरक समान हो जाता है. इसलिए सबको अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए पर्याप्त धन उत्पन्न और एकत्र करना ही चाहिए. हाँ, आवश्यकता से अधिक धन भी मुसीबत है, इसलिए अतिशय संग्रह से बचना चाहिए.

Comments are closed.