लघुकथा

भाग्यशाली ……

राधे लाल जी ने एक पल के लिए भी नही सोचा था कि उनको बिना लाठी की मार खानी पड़ेगी | लाडले बेटे शिव की सगाई, बड़ी धूम-धाम से कुछ दिन पहले ही की थी| दो माह बाद शादी की तिथि घोषित हुई थी | पर ये क्या ! जिसकी बारात निकलनी थी | आज उसकी अर्थी निकल रही है | हर परिचित की आँखे नम थी | दुख की इस घड़ी में बहुत से लोग उनको सांत्वना देने को आये हुए थे | उन्ही में से किसी की आवाज आयी ” लडकी अभागी है| रिश्ता होते ही लडके को अपने प्राणों से हाथ धोना पड़ा | दुःख का पहाड़ टूट पडा फिर भी लडके का पिता बोला ”आप कौन होते हो ये तय करने वाले कि लडकी के कारण ये सब हुआ , वो तो नसीब वाली है जो ये शादी से पहले हुआ | किस्मत तो हमारी फूटी है | हमे उम्र भर पहाड़ सा दुःख झेलना है |”

शान्ति पुरोहित

शान्ति पुरोहित

निज आनंद के लिए लिखती हूँ जो भी शब्द गढ़ लेती हूँ कागज पर उतार कर आपके समक्ष रख देती हूँ

8 thoughts on “भाग्यशाली ……

  • गुंजन अग्रवाल

    waah di kmaal …..

  • विजय कुमार सिंघल

    अच्छी लघुकथा. कम शब्दों में बहुत कुछ कह देती है.

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    शान्ति बहन , हमेशा की तरह आप की लघु कथाओं में समाज में जागरूपता पैदा करने के लिए कोशिश होती है और यह कहानी भी उन लोगों के मुंह पर तमाचा है जो घिसे पिटे दकिअनूसी विचार रखते हैं .

  • उपासना सियाग

    एक नयी सोच …..अपने हृदय पर पत्थर रख कर ही कोई ऐसा बोल सकता है

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