जो भी हुआ कोई खेद नहीं, बस इतना है संताप मुझे आप ने जीवन को समझा, पर समझ न पाए आप
Read Moreस्वप्न में तुम आये थे प्रियवरबोले मेरा हाथ थाम करतुम हो धरा और मैं हूँ अम्बरफिर क्यों मन रहता है तत्परतुम
Read Moreसुनो समाजवादी कवि तुम लिखते हो गर्म दोपहर में रेगिस्तान में और गर्म होती रेत में खड़े एक सूखे ठूंठ पर ..जिसको तुम
Read Moreसंचित कर अपने ह्रदय भाव,…प्रस्ताव निवेदित करता हूँ स्नायु तंत्र में तुमसे प्रिय, मैं अभिलाषा स्पंदित करता हूँ है स्वप्न
Read Moreबंधन, चिंतन, अनुरंजन, तुम भावों को कल्पन देती होसमझ ना पाईं अब तक तुम, तुम मुझको जीवन देती होआशा, जिज्ञासा,
Read Moreजब कोई बच्चा रोता है तो आँखों में आँसू आते हैं जब कोई सच्चा रोता है… तो मेरा खून खौलता
Read Moreदेखो अब कितनें लोगों के अंदाज़ बदलने वाले हैं चुनाव आ गए हैं फिर से, हालात बदलने वाले हैं कुछ
Read Moreलिखना चाहता हूँ कविता तलाश रहा हूँ शीर्षक, जो समेट लें संवेदनाएं भावनाओं को कर सकें परिकल्पित, पात्र तो कई
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