कविता

मेरा खून खौलता है

जब कोई बच्चा रोता है तो आँखों में आँसू आते हैं

जब कोई सच्चा रोता है… तो मेरा खून खौलता है

हाँ , मैं कट्टरवादी हूँ, .है गर्व सहित स्वीकार्य मुझे

दुशमन का अच्छा होता है तो मेरा खून खौलता है

 

मन्दिर, सेतु, समान नियम अब बेमानी से लगते है

विश्वास जो कच्चा होता है तो मेरा खून खौलता है

दुशमन का अच्छा होता है तो मेरा खून खौलता है

 

बस चुकी गुलामी खून में है, उनको विदेशी भाते हैं

गुलाम  जो  चच्चा होता है तो मेरा खून खौलता है

दुशमन का अच्छा होता है तो मेरा खून खौलता है

 

इतिहास लिखा जायेगा तो तुम कायर कहलाओगे

हर बात पे गच्चा होता है., तो मेरा खून खौलता है

दुशमन का अच्छा होता है तो मेरा खून खौलता है

 

भ्रष्टाचारी, आतंकी मिल कर भारत माँ को छलते हैं

जब झूठ ही जच्चा होता है, तो मेरा खून खौलता है

दुशमन का अच्छा होता है, तो मेरा खून खौलता है

__________________________अभिवृत

2 thoughts on “मेरा खून खौलता है

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    बहुत अछे !! बुराई और झूट को ऑपरेशन टेबल पर रख कर चीर दिया .

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत खूब ! बिडंबनाओं को देखकर सच्चे देशभक्त का खून खौलना ही चाहिए. बढ़िया अभिव्यक्ति.

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