Author: अनीता विश्वकर्मा

कविता

बेटी ने तुम्हें पुकारा है

बर्बर है जर्जर है हालत नासाज़ है,चिल्लाती काँपती लहूलुहानआवाज है।तड़प, झिड़प किसी को नगवांरा है,एक पीड़ित बेटी ने फिर तुम्हें पुकारा

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