कविता

बारिश की बूंदें

नाचती पानी की बूंदे
देखो धरती पर
हरियाली भरे मौसम ने
फिर उठाया सर
खूबसूरती का नजारा
देखो लगता प्यारा है
बारिश की बूंदों ने
दिल चुराया हमारा है
टिप टिप करती बारिश में
नाचते तुम हम
भीगते नहाते बड़ी ऐश से
खुश होते छम छम
चीखते चिल्लाते सभी
गाने गाते गाते खुशी से
झूमते और नाचते-नहाते।
धरती भीगी सारे भीगे
हुआ खुशनुमा मौसम
किसी की आंखों में आंसू है
याद करके सनम।
तड़पती धूप से राहत मिली
होने लगी वर्षा
तृप्त हुई धरती
सबका मन हर्षा ।
छत पर करते छम छमा छम
भीग रहे हैं सब
सभी हैं हर्षे सोच के
गर्मी नहीं है अब।
करते विनती सभी प्रभु से
आज बरसों जम के
ऑफिस के टाइम पर
भगवन थोड़ा जाना थमके।
— अनीता विश्वकर्मा

अनीता विश्वकर्मा

अध्यापिका, पीलीभीत-उत्तर प्रदेश, 7983333497