मेरे पापा
साध पाऊँ लक्ष्य मैं अपना, जगाया मुझमें ये आत्मविश्वास ! बीते पल हैं सुखद स्मृतियाँ, समेटे हैं खुद में खूबसूरत
Read Moreआज भी कितनी ही “राधाएँ”, अपने “कान्हा” की राह तकतीं हैं ! “कान्हा” बैठे मुरली बजाए, इल्जामों में “राधाएँ ”
Read Moreगर…. ये दिल, इक खुली किताब बन जाता ! तो जिंदगी जीना ही, बेहाल हो जाता !! बिन बोले पढ़
Read Moreगर पता होता, इतनी मुश्किल डगर है मुहब्बत की राह में, कदम हम न रखते ! उलझने हैं ज्यादा, सकूं
Read Moreजून की चिलचिलाती धूप में सुधा अभी घर के बाहर पहुँची ही थी कि उसे घर के अंदर से कुछ
Read Moreकुछ सिसकती आवाजें ****************** अक्सर बंद किवाड़ों में… दम तोड़ते हैं अहसास सिसकती हैं आवाजें रुंध जाते हैं गले !
Read Moreसत्ता ***** भूख, गरीबी और उत्पीड़न, मुद्दे तो हैं… पर छुपाए जाते हैं ! सत्ता के शतरंजी खेल में अब
Read Moreअक्सर और आदतन, निद्रा के आगोश में जाने से पहले, ले बैठती हूँ… दिनभर के लेखे – जोखे की किताब
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