नागफ़नी
उगाए ना थे !! पर सम्बंधों में खिले, नागफ़नी के फूल,, … अब चुभने लगे हैं ॥ सुंदरता का आवरण
Read Moreना जाने वो … क्या मजबूरी थी , या जद्दोजहद थी , धन कमाने की , खुद को आजमाने की
Read Moreहूँ अज्ञानी … अपने अल्पज्ञान का मुझे भान है । अपने सीखने की लगन पर मुझको भी अभिमान है ॥
Read Moreआज भी कितनी ही “राधाएँ”, अपने “कान्हा” की राह तकतीं हैं ! “कान्हा” बैठे मुरली बजाए, इल्जामों में “राधाएँ ”
Read Moreगर…. ये दिल, इक खुली किताब बन जाता ! तो जिंदगी जीना ही, बेहाल हो जाता !! बिन बोले पढ़
Read Moreगर पता होता, इतनी मुश्किल डगर है मुहब्बत की राह में, कदम हम न रखते ! उलझने हैं ज्यादा, सकूं
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