कविता: खोये तुम नहीं हो… बदल से गये हो
बार -2 जिक्र करके… याद करते हैं हम तुमको जिद है तुम्हें पाने की… मुकद्दर में तुम नहीं हो !!
Read Moreबार -2 जिक्र करके… याद करते हैं हम तुमको जिद है तुम्हें पाने की… मुकद्दर में तुम नहीं हो !!
Read Moreबारिश बाट निहारे, बैठी विरहन लिये ख्वाब अधूरे रोती है ! शिकवा कर बतलाये किसको आँखों से बारिश भी होती
Read Moreहोश जब आया तो … तुम दूर जा चुके थे अपनी ज़िंदगी से हमको भूला चुके थे अहसास इस दूरी
Read Moreफिर बाँध उम्मीद और छोड़ निराशा आशा से फिर से तू नाता जोड़ !! कर मंथन प्रयासों का अपने मेहनत
Read Moreतेरी जुस्तजू है मुझको तेरा इंतज़ार किया है हर पल, हर इक लम्हा तुझसे प्यार किया है !! न किया
Read Moreदिल में थे अरमां कईं पर मूक रहे अल्फाज ! दिल ही दिल में रोते रहे मेरे अनकहे जज्बात !!
Read Moreज़ख्म मेरे दिल के वो… कुछ इस तरह भरता रहा माँग माफ़ी, पिछली खता की नई खता करता रहा !!
Read Moreवो पल भर की जुदाई न थी यादों से रिहाई वक़्त… काटे न कटा हर लम्हा… सदियों सा लगा वो
Read Moreसोचो जब हम न रहे, तो क्या अपना रह जाएगा रिश्ते-नाते धन-दौलत सब, यहीं धरा रह जाएगा !! तिनका-तिनका जोड़
Read More