कविता : हर बात में तुम
हर बात में तुम, जज्बात में तुम ! मेरा दिन हो तुम, मेरी रात हो तुम ! बेनाम है तुमसे…
Read Moreहर बात में तुम, जज्बात में तुम ! मेरा दिन हो तुम, मेरी रात हो तुम ! बेनाम है तुमसे…
Read Moreओढ़ मुखौटा बन कठपुतली जीएं सारे इस रंगमंच में…. खुद को भुला नित नयी भूमिका निभायें सारे इस रंगमंच में….
Read Moreक्यों मर्यादा की… चादर ओढ़े, दिन-रात यूँ ही… घुट -2 के जियूँ ! क्यों अोड़ … आडम्बर की चादर, जहर
Read Moreजिनको कभी थे… हम नज़रंदाज़ करते, बन धड़कन वो दिल में, समाने लगे हैं ! आजकल बेवजह… हम मुस्कुराने लगे
Read More