हिंदी की दुर्दशा
हिन्दी ही इस जहाँ के आगे रही हिन्द की भाषा। सच्चा हिन्दुस्तानी ही हरपल इसका साथ निभाता। आज जमाना बदल
Read Moreहिन्दी ही इस जहाँ के आगे रही हिन्द की भाषा। सच्चा हिन्दुस्तानी ही हरपल इसका साथ निभाता। आज जमाना बदल
Read Moreतुम एक बार चले आओ ये प्रेम निवेदन कर स्वीकार अगर बना ना सको रूक्मिणी राधा समझ करो अन्गीकार दूर
Read Moreजैसे कान्हा भूल न पाये राधा की उन यादों को। प्रियतम याद हमेशा रखना प्रेम राह के वादों को! मेरा
Read Moreग़ज़ल / अनुपमा दीक्षित मयंक बहर- 1222 1222 1222 1222 तेरी तस्वीर मुझसे यूँ हमेंशा बात करती है बनी है
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