जल है तो कल है
“पापा घर में बैठे बैठे बोर हो गया हूँ । पहले तो आपको ऑफिस वालों ने वर्क एट होम शुरू
Read More“पापा घर में बैठे बैठे बोर हो गया हूँ । पहले तो आपको ऑफिस वालों ने वर्क एट होम शुरू
Read More“ए बहूरिया मैं मंदिर जा रही हूँ ,तुम भी पीछे से आ जइयो । साथ में पूजन सामग्री भी लेती
Read Moreप्रकृति को जननी हम कहते हैं फिर भी उसकी पीड़ा अनदेखी करते हैं। क्यों बेबस लाचार हुए शिक्षा का दंभ
Read Moreआँखों से कुछ दिखाई नहीं दे रहा था आँखों में मोतियाबिंद उतर आया था ।वे टटोलते हुए अपनी दवा टेबुल
Read Moreहर रोज इक प्यास है । होठ अक्सर शुष्क रहते हैं , कोल्डड्रिंक्स एवं स्नैक्स से फ्रिज भरा हुआ है
Read Moreप्रीत की रीत काश सीख पाती मीरा जैसी प्रीत जगाती तन-मन की सुधि बिसराऊँ मीरा के रंग में मैं रंग
Read Moreप्रिया से फोन पर बातें करते हुए शौर्य बीच-बीच में कुछ पल के लिए बिल्कुल खामोश हो जाते थे ।
Read Moreरात के बारह बज चुके थे ,नींद का नामोनिशान नहीं था । ओह; कहने को तो भरा पूरा परिवार है
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