डंक (कविता)
एक छोटा सा प्रयास रंग लाई दबी सहमी सी रहने वाली गुड़िया वर्षों बाद खुल कर मुस्कूराई। हर रोज पूछती
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Read Moreक्रिसमस की पार्टी का आनंद कॉलोनी के बूढ़े-बच्चे उठा रहे थे। स्वाभाविक है जहाँ धूँआ वहाँ आग होगा ही ,ठीक
Read Moreपुरब और पश्चिम बदल रही है सोच या हवा बदल रही पुरब की हवा अब पश्चिम से जा मिली आरक्षण
Read More“दादी माँ; माँ कहती हैं हमलोगों को बचपन में हमारी नानी माँ या दादी माँ कहानी सुनाया करती थी ।
Read Moreकैसे हँसी विलुप्त हो रही बेवजह जाने क्यों गूम हो रही दस्तक अब सुनाई नहीं देते कभी अब जो बिछड़े
Read Moreकल कोर्ट में आखिरी फैसला होने वाला था । ऑफिस से थोड़ा पहले निकल कर अमृता वकील से मिलने चली
Read Moreसुनहरी धूप अंतस्तल में समाई बीते दिनों की यादें संग लाई । आँगन में कभी अपनों के संग मस्ती करते
Read More“क्या सोच रही हो; मनुज के घर वालों से मिला जाये या नहीं ? सच में ! हमें शर्म आती
Read Moreआज रसोई घर में बड़ी उठा पटक हो रही थी। नन्हा राहुल अपने खिलौने से खेलना छोड़ कर रसोई घर
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