कविता – नाराज़गी की उम्र
नाराज़गी के खेल में परहेज़ रहे,उम्र इसकी लम्बी न हो।मौतें कब आ जाएगी,इस बात का इल्म रहे। इस दरम्यान हमें
Read Moreनाराज़गी के खेल में परहेज़ रहे,उम्र इसकी लम्बी न हो।मौतें कब आ जाएगी,इस बात का इल्म रहे। इस दरम्यान हमें
Read Moreऊंची उड़ान भरने में,उलझनें अपनी शरारत दिखाती है।उम्मीदों पर मजबूती से,प्रहार करते हुए,अपनी हिफाजत करने की,भरपूर कोशिश करने में,हमेशा आगे
Read Moreअतुलनीय है तो,सबको बहुत भाता है।उन्नति और प्रगति होगी,यह दृश्य दिखाते हुए,सबमें खुशियां भर जाता है। अप्रतिम सौंदर्य को,सुन्दर माहौल
Read Moreइस हुनर को क्या लिखूं,कुछ अफसाने ज़रूर पढ़ें हैं हमने,मुश्किल वक्त में,आसपास रहकर भी,नज़र अन्दाज़ किया गया है,यह देखा गया
Read Moreसजने संवरने में दुनिया भर के लोग,हमेशा रहते हैं परेशान।खुशियां वास्तविक रूप में स्वीकार्य नहीं है,इस परिकल्पना को,नहीं देते सम्मान।
Read Moreबुलन्दी पर पहुंचने में,मजबूत इरादों से लबालब होनी जरूरी है।तख्त और ताज मिलता है,इसमें ताकत की खुशबू,सबसे पहले करीबी दोस्त
Read Moreजड़ता की तौहीन समझते हैं कुछ लोग,मुश्किल में दिखाई देती है यह रोग।कोशिश करने में सक्षम बनें हम,इस ताकत को
Read Moreयह हठ है या कहें इसे एक ज़िद,यही हठ और हिदायत कहलाता है।मुश्किल वक्त में ही,सही और ग़लत का रहस्य
Read Moreमानवीय मूल्यों में,अद्भुत आभार है।सब कहते हैं,सर्वश्रेष्ठ व्यवहार है।उम्दा आगाज़ पैदा करने का,सबसे खूबसूरत उपहार है।सब कहते हैं इस सत्य
Read Moreउद्भव और विकास है,सहजता और सरलता से,किया जाता प्रयास है। वैज्ञानिक अन्वेषण है,उन्नत विचार से पूर्णतः सत्य है।एक सुखद अहसास
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