Author: *डॉ. अवधेश कुमार अवध

भाषा-साहित्य

साहित्य निष्प्राण हो जाएगा अगर जन सरोकार से दूर किया गया

साहित्य को समाज का दर्पण होना चाहिए अर्थात् समाज के चेहरे को हूबहू दिखाने के सामर्थ्य से सम्पन्न। सिर्फ इतना

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