चाँद
ऐ चाँद! तेरी दुधियां रौशनी में नहाई ये धरती और जाग उठे दिल के अरमान सारे तुम्हारे दीदार भर से
Read Moreतेरी इनायत जो हुई मेरी निगाहों पे झंकृत हो उठे दिल के तार सारे नम्र स्पर्श वो तुम्हारी नज़रों का
Read Moreबेचैन आँखों को तलाश है तुम्हारी एक झलक पाने की निहार रही हूँ राहे कब से तुम्हारे लौट आने की
Read More(नारी उत्पीड़न) नारी की विवशता को आजतक किसने समझा है सदियों से तो….. वो रोती, कलपती, बिलखती ही आई है
Read Moreजिंदगी एक पहेली सी है जितना सुलझाओ उतना ही उलझती जाती है कब किस मोड़ पर एक चुनौती बनकर सामने
Read Moreदर्जी कहता सुई से तू है कितनी छोटी मैं हूँ, लम्बा चौड़ा दर्ज़ी तू, नाप सके ना उतना करता हूं मैं
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