औरत और समाज
झुक जाती हैं नजरें शर्म से जब बहू बेटियों की इज्जत लूट ली जाती है, अपने ही समाज में, ये
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Read Moreऔरत की जिंदगी किस्तों के जैसी है जहाँ पर जन्म लिया आँखे खोली वही से शुरू हो जाती है पहली
Read Moreकुछ सहेज रखे है मैंने अपने अन्तःमन के कोने में सपने पर आज न जाने क्यों रह-रह के ये चंचल
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