कविता

मौका

जिंदगी हमें कई मौके देती है
जब हम ख्वाइशों के गगन में
हम अपनी चाहतों के पंख
लगाकर उड़ान भर सके
पर उस मौके को…..
हम अपने उतावलेपन से
सही दिशा की ओर नहीं ले जाते
और दिशाहीन रास्ते पर चल पड़ते
जिसकी कोई मंजिल नहीं होती
ये भटकाउं हमारी जिंदगी को
बर्बादी की तरफ धकेलते है
जहाँ पहुंचकर अँधेरे के सिवा
कुछ नहीं हासिल होते है
और हम पूरी तरह हताश हो
निराशे में डूब जाते है
दुबारा उठकर चलने की
इच्छाएं भी दम तोड़ने लगती है
पर इसका दोष
हम वक़्त पर लगाते है
लेकिन! क्या ये उचित है
जिंदगी ने तो हमें कई मौके दिए
लेकिन हम खुद ही गवां दिए।

*बबली सिन्हा

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