कविता

चौराहा

है मन  चौराहे सा

विचारों के कई अनगिनत रास्ते

भटकन सी मन के भीतर

द्वन्द्व विचरता है क्षुब्ध

फिर भी सही गलत की पेशोपेश

निरन्तर चलती मैं

इन वैचारिक राहों से निकल पाना चाहूँ

पर है पथरीली राहें

कदम दर कदम

दूर  होती मंजिलों को पाने की हौड़ में

चौराहे पर भटकती

अर्न्तमन की चाह।

अल्पना हर्ष

अल्पना हर्ष

जन्मतिथी 24/6/1976 शिक्षा - एम फिल इतिहास ,एम .ए इतिहास ,समाजशास्त्र , बी. एड पिता श्री अशोक व्यास माता हेमलता व्यास पति डा. मनोज हर्ष प्रकाशित कृतियाँ - दीपशिखा, शब्द गंगा, अनकहे जज्बात (साझा काव्यसंंग्रह ) समाचारपत्रों मे लघुकथायें व कविताएँ प्रकाशित (लोकजंग, जनसेवा मेल, शिखर विजय, दैनिक सीमा किरण, नवप्रदेश , हमारा मैट्रौ इत्यादि में ) मोबाईल न. 9982109138 e.mail id - alpanaharsh0@gmail.com बीकानेर, राजस्थान