सर्पफणी और सर्परागिनी ..की गाथा {स्वप्न चित्रण }
मूलाधार चक्र के उदगम से पतली एक गर्म धारा सुषुम्ना की ओर चल पड़ी मुस्कुराते हुए आये देखो अब
Read Moreमूलाधार चक्र के उदगम से पतली एक गर्म धारा सुषुम्ना की ओर चल पड़ी मुस्कुराते हुए आये देखो अब
Read Moreमेरे मंदिर में शिव जी करते हैं निवास दिव्य ज्योति जलती हैं दिन रात लौ के भीतर प्रगट होते हैं नागराज
Read Moreमैं तो बाल्य काल से ही शिव की भक्त हूँ. शिवजी मेरे परम पिता हैं. माता जी ..गौरी हैं. उनकी भक्त बेटी वत्सला हूँ. मुझे
Read Moreशिव शिवा को मेरे उदगार हैं अर्पण जिंदगी को कैसे लिखूं मैं मेरा सच जैसे खुली हुई हो मेरे
Read Moreनैन हमारे देखे हे शिव जी नैन हमारे देखे हज़ारों सपने तुम्हारे कोई जाने ना जागे जागे सोये सोये कोई पहचाने
Read Moreकहते मुझसे शंकर भगवान् मेरे नयन से बहे नीर नीर हो गयी मैं पीर पीर हृदय में भर आये क्षीर क्षीर
Read More“मैं वो एक परिंदा हूँ “हे शिव जीतुम मेरे हो ,मै तुम्हारी हूँबस इसी भ्रम मेंमैं ज़िंदा हूँहर हर शिव
Read Moreशिव मंदिर की सफ़ेद छत हैं और सोने की हैं दीवार फर्श पर बिछा रहता हैं सुनहरा प्रकाश उपस्थित आत्माओं
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