कबिरा खड़ा बजार में
देश और दुनिया का हर आदमी या औरत कोई कबीर नहीं है ;जो भरे बाज़ार खड़े होकर कहे: ‘कबिरा खड़ा
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Read Moreअपने – अपने रेवड़ में खुश, भैं – भैं भेड़ें करतीं। मैं – मैं बकरा – बकरी करते, और नहीं
Read Moreरहते सूरज इतनी दूर। फिर भी दें गर्मी भरपूर।। देर नहीं पल की भी करते। अंबर में तुम नित्य विचरते।।
Read Moreशीतकाल सौगातें लाया। ठंडी ऋतु का मौसम भाया।। छोटे दिन की लंबी रातें। अगियाने पर होतीं बातें।। गरम रजाई ने
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