शीतकाल सौगातें लाया
शीतकाल सौगातें लाया। ठंडी ऋतु का मौसम भाया।। छोटे दिन की लंबी रातें। अगियाने पर होतीं बातें।। गरम रजाई ने
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Read Moreहमारे समाज में चार की संख्या का विशेष महत्त्व है।चार धाम, चार वेद,चार वर्ण, लोकतंत्र के चार चरण (किन्तु गधा,घोड़ा
Read Moreजहाँ तक मेरी जानकारी की दूरदृष्टि जाती है,चोरी एक सदाबहार कला के रूप में विख्यात रही है। चोरियों के भी
Read Moreएक रात की बात है।आँखें लगी हुई थीं कि यकायक उन्होंने एक सपना देखा। यों तो उन्हें नित्य ही लग
Read Moreलगती हमको धूप सुहानी। जाड़े की कहलाती रानी।। जब जाड़े का मौसम आता। बहुत-बहुत हमको वह भाता। दादी कहती खूब
Read Moreसमझ न आती चाल समय की, कैसा नया जमाना है ! शंकित हर आदमी परस्पर, संदेहों के घेरे हैं, थर
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