गीतिका
पौष मास की सर्द रात है। ओढ़े सित चादर प्रभात है।। धूप गुनगुनी दिन में भाती, होता निशि में तुहिन
Read Moreहमारे समाज में चार की संख्या का विशेष महत्त्व है।चार धाम, चार वेद,चार वर्ण, लोकतंत्र के चार चरण (किन्तु गधा,घोड़ा
Read Moreजहाँ तक मेरी जानकारी की दूरदृष्टि जाती है,चोरी एक सदाबहार कला के रूप में विख्यात रही है। चोरियों के भी
Read Moreएक रात की बात है।आँखें लगी हुई थीं कि यकायक उन्होंने एक सपना देखा। यों तो उन्हें नित्य ही लग
Read Moreलगती हमको धूप सुहानी। जाड़े की कहलाती रानी।। जब जाड़े का मौसम आता। बहुत-बहुत हमको वह भाता। दादी कहती खूब
Read Moreसमझ न आती चाल समय की, कैसा नया जमाना है ! शंकित हर आदमी परस्पर, संदेहों के घेरे हैं, थर
Read Moreचूरन त्रिफला लीजिए,ऋतुओं के अनुसार। उदर रोग नासें सभी,शेष न रहे विकार।। अपना जितना भार हो,कर उसके दस भाग। मात्रा
Read Moreनाम था उसका भोला।स्वभाव का भी भोला। दीवाली से दो दिन पहले एक दिन वह अपने खेत की मेंड़ की
Read Moreआपके साथ हर समय रहने वाले ,सबकी अच्छी – बुरी सुनने वाले ;हम आपके ही दो कान हैं। आप ये
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