जिसकी पूँछ उठाई
जिसकी पूँछ उठाई जाती, निकल रहा है मादा। अवसर जिसको मिले ‘सुनहरा’, क्यों करनी में छोड़े, राम नाम की ओढ़
Read Moreजिसकी पूँछ उठाई जाती, निकल रहा है मादा। अवसर जिसको मिले ‘सुनहरा’, क्यों करनी में छोड़े, राम नाम की ओढ़
Read Moreलहराया मैं आसमान में, मानव बहक गया। मेरी छाया में सौगंधें, खाकर करता वादे, मुँह में राम बगल में छूरी,
Read Moreआगरा – जलेसर मार्ग से पूर्व दिशा में टेढ़ी बगिया से चार किलोमीटर दूर स्थित मेरे छोटे – से गाँव
Read Moreअरसे भर के बाद गया था, जन्म लिया जिस गाँव गाँवों में अब गाँव नहीं है। धुआँ उगलती हुई चिमनियाँ
Read Moreराजनीति की चादर ओढ़ी, आजादी का नाम, बदल गए हैं गाँव। फहर उठे हैं खूब तिरंगे, घर छत में द्वारों
Read Moreअमृत – उत्सव देश का,भारत माँ के नाम। दे दी हमें स्वतंत्रता, उनको नमन प्रणाम।। वे बलिदानी वीर थे, दिया
Read Moreदेश का ऊँचा तिरंगा शान मेरी। राष्ट्र का गुणगान ही पहचान मेरी।। देश की बोली सु -हिंदी बोलता मैं, नीड़
Read More-1- न देश का विचार है,विचार जाति-पाँति का। गुबार ही गुबार है,नहीं सुनीति – रीति का।। विनाश काल सामने,न देखता
Read Moreहमको इंद्रधनुष अति भाता। पावस के अम्बर में आता।। सात रंग का धनुष इंद्र का। बैंगन जैसा रँग है चहका।।
Read Moreसावन आया घेवर लाया। मुँह में मेरे पानी आया।। जाते जब बाजार पिताजी। लेने घर – सामग्री भाजी।। मैंने घेवर
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