आत्म विश्वास
देश का करने को उद्धार, हमें ही बढ़ना होगा मीत। उसे ही मिलता है गल हार, शृंग पर चढ़ता पाता
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Read Moreमैंने दो – दो खरहे पाले। आधे गोरे आधे काले।। घर भर में वे दौड़ लगाते। दिखते कभी कभी छिप
Read Moreहरी घास में कीड़े पनपे, हर पल्लव छलनी होता। सुमन खिलें शाखा पर कैसे, सूखा है सुगंध – सोता।। पादप
Read Moreकभी आपने इस बात पर विचार किया है कि ‘क्याआदमी कभी सरल भी हो सकता है?’ अपने अध्ययन काल में
Read Moreहाँ ,हम तुम्हीं से कह रहे हैं।तुम अच्छी तरह से समझ तो गए ही होगे कि तुम्हें पीछे मुड़कर देखने
Read Moreसंसार में जितने भी जीव देह धारण करते हैं;मुझे लगता है कि सबका एक ही उद्देश्य है। और वह है
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