धूम मचाती है गौरैया
मेरे घर की सघन बेल मेंधूम मचाती है गौरैया। नर के पंख श्याम बादामीमादा के कुछ कम मटमैले।कभी फुदकती वह
Read Moreमेरे घर की सघन बेल मेंधूम मचाती है गौरैया। नर के पंख श्याम बादामीमादा के कुछ कम मटमैले।कभी फुदकती वह
Read Moreयह ‘कीचड़-उछाल संस्कृति’ का युग है। यत्र-तत्र-सर्वत्र कीचड़- उछाल उत्सव का वातावरण है। कोई भी कीचड़ उछालने में पीछे नहीं
Read Moreसुरा सुरों का साथ निकट का,लगें दंपती नेक।सुर से सुरा विलग हो कैसे,सोचें सहित विवेक ।।जोगीरा सारा रा रा रा
Read Moreआग की सामान्य प्रकृति है : जलाना।उसके समक्ष जो भी वस्तु आती है या लाई जाती है ;वह उसे जलाकर
Read More‘गोबर’ एक सार्वभौमिक और सार्वजनीन संज्ञा शब्द है।साहित्य के मैदान में इसने भी बड़े -बड़े झंडे गाड़े हैं।हिंदी साहित्य के
Read Moreखिड़की खुलतीजब अतीत कीबासी हवा महकने लगती। कंचा-गोलीआँख मिचौलीकागज की वह नाव चली।ग्रामोफोनरेडियो बजतेयहाँ वहाँ पर गली- गली।। ऊँची कूदकब्बड्डी
Read Moreरीझ गया है कोकिल का मन।देख लिया कुसुमाकर – दर्पन।। कुहू – कुहू की टेर लगाती।विरहिन के उर पीर जगाती।।बहती
Read Moreबंदर जैसे स्वाद, अदरक का जाने नहीं।ज्ञान न उसको नाद , जो बहरा है कान से।।रखे घूमता नित्य, ज्ञान –
Read Moreढपोरशंख की खोज बहुत पहले हो गई थी। इसलिए आज उसके इतिहास में जाने की आवश्यकता नहीं है।इतना अवश्य है
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