सिंघाड़ा
ताल – तलैया में उपजाया।जल – फल नाम सिंघाड़ा पाया।। जल- तल पर हरियाली छाए।हरे सिघाड़े से भर जाए।। ऊपर
Read Moreशीतकाल सौगातें लाया।ठंडी ऋतु का मौसम भाया।।छोटे दिन की लंबी रातें।अगियाने पर होतीं बातें।।गरम रजाई ने गरमाया।शीतकाल सौगातें लाया।।गज़क तिलकुटी
Read Moreयह सत्य है कि बीता हुआ समय कभी लौट कर नहीं आता।यह बात मुझे ही लगती है कि अतीत वर्तमान
Read Moreयुग -युग से चली आ रही प्रथाओं और परंपराओं को यों ही नहीं भुलाया जा सकता।ये प्रथाएँ और परंपराएं आदमी
Read Moreहुक्का,गुटका,चिलम, तँबाकू।नर- जीवन के हैं सब डाकू।। हुक्के में जो धुँआ उड़ाता।नश्तर तन में स्वयं चुभाता।। सट-सट धुँआ चिलम से
Read Moreगीत गाते मरीं गाँव की गोरियाँ।गिरीं खेत में ज्यों वे भरीं बोरियाँ।। हमासी दानवों ने बहाया लहू,मिट गईं लुट गईं
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