ग़ज़ल : ज़माने गुज़र गये
सस्ताई के वो हाए. ज़माने गुज़र गए, टमाटर प्याज खाए ज़माने गुज़र गए खा रहा हूँ रोटी नमक के साथ
Read Moreसस्ताई के वो हाए. ज़माने गुज़र गए, टमाटर प्याज खाए ज़माने गुज़र गए खा रहा हूँ रोटी नमक के साथ
Read Moreमित्र स्नेह का झरना है और मित्र गुणों की खान मित्रों से ही है समाज में हम सब की पहचान
Read Moreघर में इंद्रधनुष की आभा फैल जाती है बिटिया के चेहरे पर जब मुस्कान आती है समग्र सृष्टि जैसे मंगल
Read Moreतेरे दिल को जो लुभा ले कोई ऐसा गीत गाऊँ है एक ही तमन्ना तेरे साथ मुस्कुराऊँ खिल उठे कमल
Read Moreकल तक थी वो मेरी छोटी सी गुड़िया थोड़ी सी चंचल शरारत की पुड़िया मगर आज अपनी माँ की छवि
Read More