ग़ज़ल
बड़ी मुश्किल से ये जज़्बात छुपाए हमने, मुस्कुराए, ठहाके झूठे लगाए हमने तुमको मालूम ये शायद ना कभी हो पाए,
Read Moreकैसा उच्च न्यायालय का फैसला आया आज मानेगा अब कौन यहां पर है कानून का राज खंडित हुई है आस्था
Read Moreजिसको देखो पूछता है वो कब अच्छे दिन आएँगे कब हम घर में बैठकर अपने दूध-मलाई खाएँगे लेकिन हम ये
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