गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 02/12/2015 ग़ज़ल इंसान दरिंदों में, शैतानों में बंट गया, ईमान भी राशन की दुकानों में बंट गया रहता था कल तलक जो Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 28/11/2015 ग़ज़ल सच सरेआम सताया जा रहा है, झूठ का महल सजाया जा रहा है कल तलक जो कटघरे में खड़े थे Read More
गीत/नवगीत *भरत मल्होत्रा 27/11/2015 मेरा हिंदुस्तान है ये मौन रहूँ तो सबको शेष-शय्या का विष्णु लगता हूँ लेकिन कुछ बोलूँ तो बड़ा ही असहिष्णु लगता हूँ मेरे प्यारे Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 25/11/2015 ग़ज़ल लुटा दिए आमिर, शाहरुख पर हमने अपने कोष फिर भी उनके दिल में जागा हम सबके प्रति रोष जिनको पलकों Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 24/11/2015 ग़ज़ल आदमी का आदमी से वास्ता कोई नहीं, हर तरफ दीवार है अब रास्ता कोई नहीं हसरतों ने उम्र भर ना Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 23/11/2015 ग़ज़ल दिल का दर्द लफ्ज़ों में बताया क्यों नहीं जाता नहीं है पास जो उसको भुलाया क्यों नहीं जाता रोकते-रोकते भी Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 10/11/2015 ग़ज़ल जीवन जंग है जारी रख बस मौत से रिश्तेदारी रख बैठ ले जब तक जी चाहे पर चलने की तैयारी Read More
गीत/नवगीत *भरत मल्होत्रा 09/11/2015 गीत लेने का मौसम चला गया आया है वापिस देने का मौका है बहती गंगा में हाथ अपने भी धोने का Read More
गीत/नवगीत *भरत मल्होत्रा 07/11/201525/11/2015 गीत अपनों ने जो किए हैं दिल पे वार दिखाने आया हूँ घायल भारतमाता का चित्कार सुनाने आया हूँ राशन नहीं Read More
गीत/नवगीत *भरत मल्होत्रा 04/11/2015 गीत बन के चारण भाट जो पैसे वालों के गुण गाते हैं सरस्वती के पुत्र वो खुद अपना अपमान कराते हैं Read More