Author: *भावना ठाकर

सामाजिक

पर्फ़ेक्शन के चक्कर में कहीं स्वयं को अन्याय नहीं कर रहे

“अति सर्वत्र वर्जयेत” इस कथन को समझकर अपनी आदत में सुधार करना अति आवश्यक होता है। क्योंकि अति का परिणाम

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