स्वतंत्रता को स्वच्छंदता मत समझो
समय के चलते स्वतंत्रता को अपना नैतिक हक समझने वाली आजकल की पीढ़ी स्वच्छंदता का अंचला ओढ़े मनमानी कर रही
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Read Moreज़िंदगी जैसी अनमोल चीज़ को कितना सस्ता समझने लगे है लोग! एक बार मिलती है ज़िंदगी। अगला-पिछला जन्म सब ख़याली
Read Moreकहते है लोग वक्त ही वक्त है उसके पास, खा-पीकर टीवी ही देखती रहती है कहाँ कोई काम खास, करीब
Read More“क्यूँ अपनी चौखट के चाँद में ही दाग नज़र आता है, परायों के दागदार माहताब में भी नूर नज़र आता
Read Moreक्यूँ हंमेशा महिलाओं को दुनिया के लायक बनाने पर ज़ोर दिया जाता है? सवाल ये है कि, क्या दुनिया स्त्रियों के
Read Moreकुप्रथाओं की जंजीरों में जकड़ी गई नारियों की वेदना लिखूंगी एक दिन ढ़लते युग की क्षितिज पर बैठे या मांग
Read Moreदिवाली नज़दीक आ रही है, तो ज़ाहिर सी बात है सबके घर के कोने-कोने की साफ़ सफ़ाई होगी। खासकर स्टोर
Read Moreपरिवार चलाना कोई बच्चों का खेल नहीं, लोहे के चने चबाने जितना कठिन काम है। “संसार के सारे मर्दों के
Read Moreआजकल की पीढ़ी भौतिकवाद और आधुनिकता को अपनाते हुए अपने मूलत: संस्कार, संस्कृति और परंपरा की अवहेलना कर रही है।
Read Moreसफ़ाई के मामले में हमारा देश विदेश की तरह चकाचक और साफ़ सुथरा क्यूँ नहीं है? जहाँ भी देखें कचरे
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