सूरज
तुमसे ही यह धरती सुन्दर है तुमसे ही इस धरती पर बचा जीवन है कोटि कोटि प्रकाश वर्ष दूर रहकर
Read Moreगुजरा कल उदासी भरा था तय कर रही थी सूनी रहें बिना किसी अनुभूतियों के—- पता नहीं तुम कब शामिल
Read Moreमैं बसंत में आश्वासन भरा पीला फूल बन खिलाना चाहती हूँ पतझड़ में ललछौंह पत्तियों सी बिखर जाना चाहती हूँ
Read Moreमै एक ऐसे शहर मे रहती हूं जहां कैफेटारिया भी नही और ना ही गाँव की तरह खुशनुमा प्राकृतिक
Read Moreकितनी गहराई से भेदती हैं मां की आंखें मानो हो खुर्द्बीन लाख छुपाओ छुपती नहीं माँ पढ लेती है हमारे दुख
Read Moreविश्व बाजार परम्पराएं पुरानी ले गया जीने का ढब खानदानी ले गया बनके रहनुमा एक गरीब का कोई झूठे वादों
Read Moreलिए चोंच में तिनका चिड़िया देखती इधर उधर खोजती घने छांव वाला एक शजर पेट में दाना नहीं भूख से
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