कविता

जड़ें

देवताओं को प्रिय है फूल
किन्नरो गधर्वों को पसंद है फूल
अपसराओं के सिंगार का प्रसाधन फूल
तितली – भंवरे भी फूलों पर आसक्त रहे
कवियों ने भी फूलों के अप्रतिम सौन्दर्य का गुणगान किया
जड़ों को किसी ने याद नहीं किया
अंधेरे में रहकर जिसने फूलों को
जीवन दिया !!

डॉ. भावना सिन्हा

जन्म तिथि----19 जुलाई शिक्षा---पी एच डी अर्थशास्त्र

2 thoughts on “जड़ें

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    बहुत खूब , जड़ों ने अँधेरे में रह कर फूलों को जीवन दिया , अच्छी लगी .

  • विजय कुमार सिंघल

    अच्छी कविता !

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