मेहमान
वक़्त का भी कैसा सितम मेहमान तो नहीं हाँ अपने बच्चें ही मेहमान बन त्योहारों पर आ रहे हैं. कुछ
Read Moreकुछ कुछ भूलने सा लगा हूँ स्मृति भी धूमिल सी होने लगी है उम्र की वजह है या दिन दुनियां
Read Moreन खुला अम्बर न खुली छत है चाँद मुस्कुरा रहा फेंक रहा अपनी चांदनी बरसा रहा अमृत कैसे पाऊं यह
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