कविता
अब कोई गिला नहीं नहीं कोई रंजिश जहां से सब अपने हैं मेरे कोई मुझसे जुदा नहीं भाव यह मन
Read Moreऔरों पर हँसने वालों कभी यह भी सोचा तुम भी बन सकते हो हंसी के पात्र किसी रोज उस दिन
Read Moreमैं 4 नवंबर से नर्मदा जी की पैदल यात्रा पर निकला हूं. मेरी यात्रा अमरकंटक नर्मदा जी के उद्गम स्थल
Read Moreजिंदगी की कहानी हो जाए कब खल्लास नहीं कुछ इसका पता चलते चलते कब डगमगा कर राहों में
Read Moreलहू की दो बूंद जमी पर दिखी तो यह ख्याल आया यह खून किसका है अमीर का या किसी गरीब
Read Moreहवा चल रही ठंडी ठंडी पानी भी है बरस रहा गुड़िया रानी बाहर न खेल जल्दी आ जा अंदर
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