सरिता और सागर
सरिता और सागर का संगम है जैसे स्त्री पुरुष का संगम नदी शांत लज्जामय समुंदर में उन्माद आवेग सरिता सागर
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Read Moreजिंदगी की कहानी कब हो जाए खल्लास नहीं इसका कुछ पता चलते चलते कब डगमगा कर राहों में बिखर जाए
Read Moreघर से निकला गर्मी में चंद कदम चल मैं तो वापस लौट आया हाय हाय मजबूरी कपड़ा और रोटी की
Read Moreमौत तुझसे डर कैसा तू अजनबी नही तू तो अपेक्षित है इसलिए तू मुझे डरा सकती नहीं तू मेरे लिए
Read Moreउम्र के साथ साथ एक डर बढ़ता जाता है बच्चों से दूर रहने का हजारों मील दूर से कैसे आयेंगे
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