मिट्टी की खुशबू
मिट्टी की सौंधी सौंधी खुशबू नथवों में आते ही बरबस नज़रें दौड़ गई घर के आंगन की ओर शायद वारिस
Read Moreमिट्टी की सौंधी सौंधी खुशबू नथवों में आते ही बरबस नज़रें दौड़ गई घर के आंगन की ओर शायद वारिस
Read Moreजमाने में किस को किस की परवाह है सब अपने ही गम में मसरूफ़ हैं गम अपना देखें कि गैरों
Read Moreशब्द निशब्द हो अक्षर बन गए जुबां से उतर उंगलियों पे अा गए शब्द और जुबां का साथ छूट गया
Read Moreअनसुलझी और सुलझी दास्तानों का नाम है जिंदगी गिरना गिर के उठना इसी का नाम है जिंदगी चलना और रुकना
Read Moreक्या देख रहे हो मुझे इतनी गौर से मैं गुजरा हूं वक़्त हूं जा रहा हूं कभी गुलज़ार था अपने
Read Moreसांध्य कालीन ध्यान में मन पहुंच गया आकाश में तारों के बीच फिर जाकर अटक गया ध्रुव तारे पे बचपन
Read Moreपानी की दो बूंद गिरी जगी किरण एक आशा की सूखी हुई धरती और मन ने ली एक अंगड़ाई धरती
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