Author: गोपाल बघेल 'मधु'

गीत/नवगीत

मधु गीति – कितनी कलियों को जगाया मैंने,

कितनी कलियों को जगाया मैंने, कितनी आत्माएँ परश कीं चुपके; प्रकाश कितने प्राण छितराये, वायु ने कितने प्राण मिलवाये !

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