समझो द्वारे पर है बसन्त
मद्धिम कुहरे की छटा चीर पूरब से आते रश्मिरथी उनके स्वागत में भर उड़ान आकाश भेदते कलरव से खग वंश
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Read Moreकविता और काव्य में बहुत बड़ा अन्तर होता है। कविता अंश है और काव्य अंशी है। कविता लघु है काव्य
Read Moreगाजा, लेबनान, ईरान, सीरिया और यमन के लिए इजरायली सेना का आक्रमण काल बन गया । एक चिंगारी से पूरी
Read Moreसुन चुनाव की बात समूचा, जंगल ही हो उठा अधीर। माँस चीथनेवाले हिंसक, खाने लगे महेरी खीर।। धर्म-कर्म का हुआ
Read Moreमिसरी सी मीठी कूक लिए झरनों सी लिए रवानी है। है सुगम बोधिनी भावों की यह हिन्दी हिन्दुस्तानी है।। वेदों
Read Moreहिन्दी के मूर्धन्य विद्वान साहित्यकार डॉ. चन्द्रपाल सिंह यादव एवं कवयित्री प्राध्यापक डॉ भावना एन. सावलिया द्वारा सम्पादित व कानपुर
Read Moreकहीं किलकार तो सवार है बुखार कहीं, हाहाकार बाढ़ का शिकार दस्तकार है। रंगदार पानी का प्रहार पानीदार कहीं, लिए
Read Moreजो प्रेमशक्ति की मायावी ,जाया बनकर उतरी जग में। आह्लाद बढ़ाती हुई बढ़ी , बनकर छाया छतरी मग में।। बलिदान त्याग
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