एक अविस्मरणीय कवि सम्मेलन
घनन-घनन घण्टियों की तरह मंच पर कविता घनघना रही थी। बीच-बीच में बड़े घण्टे की ध्वनि सरीखी टन्न की ध्वनि
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Read Moreकाव्य-प्रणयन की सामर्थ्य उत्पन्न करने वाले साधनों को ‘काव्य हेतु’ या काव्य का कारण कहा जाता है। ये साधन ही
Read Moreसंस्कृत के आचार्यों ने काव्य के जो लक्षण बताए हैं, वे कविता के लक्षण नहीं हैं। बहुत से साहित्यकार इन्हें
Read Moreनील गगन में रुई सरीखे फाहों के अम्बार लगे।हे अगहन में दिखे मेघ! तुम हिम से लच्छेदार लगे।निर्मल धवल कीर्ति
Read Moreमद्धिम कुहरे की छटा चीर पूरब से आते रश्मिरथी उनके स्वागत में भर उड़ान आकाश भेदते कलरव से खग वंश
Read Moreकविता और काव्य में बहुत बड़ा अन्तर होता है। कविता अंश है और काव्य अंशी है। कविता लघु है काव्य
Read Moreगाजा, लेबनान, ईरान, सीरिया और यमन के लिए इजरायली सेना का आक्रमण काल बन गया । एक चिंगारी से पूरी
Read Moreसुन चुनाव की बात समूचा, जंगल ही हो उठा अधीर। माँस चीथनेवाले हिंसक, खाने लगे महेरी खीर।। धर्म-कर्म का हुआ
Read Moreमिसरी सी मीठी कूक लिए झरनों सी लिए रवानी है। है सुगम बोधिनी भावों की यह हिन्दी हिन्दुस्तानी है।। वेदों
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