मेरी कहानी 197
ऐमरजैंसी वार्ड में मैं तीन दिन तीन रातें ऐसे ही पड़ा रहा, कोई हिलजुल नहीं थी, खाना तो दूर की
Read Moreऐमरजैंसी वार्ड में मैं तीन दिन तीन रातें ऐसे ही पड़ा रहा, कोई हिलजुल नहीं थी, खाना तो दूर की
Read Moreपरिवर्तन प्रकृति का नियम है और हम भी प्रकृति का ही एक हिस्सा हैं. इसलिए हमारे विचारों में परिवर्तन आना
Read Moreकुलवंत की इंडिया यात्रा के बाद ज़िन्दगी पहले की तरह चलने लगी। इंडिया रहकर जो जो काम हमने करने चाहे
Read Moreजिस हालात में भी मैं था, मैंने रहना कबूल कर लिया था। वक्त दौड़ा जा रहा था और मैं अपनी
Read Moreबैनमर के कहने के मुताबिक वैस्ट पार्क अस्पताल से मुझे खत आ गया कि स्पीच थेरपी के लिए मैं वहां
Read Moreदो दिन घर रह कर मैं फिर हस्पताल आ गिया। मेरा ब्लड लेने रोज़ ही कोई ना कोई नर्स आ
Read Moreएक तो मैं बार बार गिर पढ़ता था, दुसरे मेरी आवाज़ बदल रही थी। गिरने का तो मुझे इतना धियान
Read Moreगोवा कैंडोलिम एअरपोर्ट से जब उड़े थे तो दुपहर का वक्त था। सुबह छै सात बजे हम इंग्लैंड की मानचैस्टर
Read Moreहंपी को देखना मेरे लिए तो बहुत ही अच्छा हुआ है क्योंकि इस से मुझे एक संतुष्टि सी ही गई
Read Moreवीरूपक्ष मंदिर में गाइड हमें एक ऐसे हिस्से में ले गया जो बहुत ही हैरानीकुन था। यह बहुत ही छोटे
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