गीतिका/ग़ज़ल *जयकृष्ण चाँडक 'जय' 14/05/2023 माई कभी कुछ नहीं बोली, माई, हरदम रही अबोली, माई! सबके साथ वो हंसी मगर, बंद कमरे में रो ली, माई! Read More
गीतिका/ग़ज़ल *जयकृष्ण चाँडक 'जय' 01/04/202329/03/2023 ग़ज़ल नींद से उसने जगा रक्खा है। अपने नज़दीक बिठा रक्खा है। रूबरू आज उसको देखेंगे, जिसको नज़रों में बसा रक्खा Read More
गीतिका/ग़ज़ल *जयकृष्ण चाँडक 'जय' 08/03/2023 ग़ज़ल हश्र से ख़ुद जो बेख़बर न हुआ, आँधियों में वो दरबदर न हुआ। मौत तक आई ज़िंदगी लेकिन, खत्म ये Read More
गीतिका/ग़ज़ल *जयकृष्ण चाँडक 'जय' 21/02/2023 ग़ज़ल इश्क़ में और आशिक़ी में हम, ग़ुम हैं अपनी ही शायरी में हम। एक तारीख़ जैसे लिख्खें हैं, ख़ुद हमारी Read More
गीतिका/ग़ज़ल *जयकृष्ण चाँडक 'जय' 04/02/2023 ग़ज़ल इश्क़ वाजिब ठिकाना नहीं है इसलिए दिल लगाना नहीं है टीस थोड़ी है बाकी अभी तक दर्द इतना पुराना नहीं Read More
गीतिका/ग़ज़ल *जयकृष्ण चाँडक 'जय' 19/12/2022 ग़ज़ल आवाज़ भी खोई हुई, सबका गला बैठा हुआ। सच को भला बतलाऐगा क्या आईना टूटा हुआ, पेड हैं चंदन के Read More
गीतिका/ग़ज़ल *जयकृष्ण चाँडक 'जय' 29/10/2022 ग़ज़ल चाहो तो देख लो मेरा फिर इम्तहान लेकर, हर बार ही मिलूंगा मैं दीनो-ईमान लेकर। अब बिक नहीं सकेगा सामान Read More
गीतिका/ग़ज़ल *जयकृष्ण चाँडक 'जय' 23/09/2022 ग़ज़ल बहुत ग़म में बहुत थोड़ी खुशी मालूम होती है, खुशी से जी लिये वो ज़िंदगी मालूम होती है। करोड़ों के Read More
गीतिका/ग़ज़ल *जयकृष्ण चाँडक 'जय' 02/09/2022 गज़ल़ इतना ही चाहता हूँ मैं हर बार देखना, मन में खुशी दिल में सभी त्योहार देखना। पतझड़ भी होगे़ राह Read More
गीतिका/ग़ज़ल *जयकृष्ण चाँडक 'जय' 17/07/2022 ग़ज़ल ख़ुद की बात के मारे हैं, बस हालात के मारे हैं। ये जो अश्क़ हैं आँखों में, ये मुलाकात के Read More