गीतिका/ग़ज़ल *जयकृष्ण चाँडक 'जय' 06/06/2021 ग़ज़ल सबसे बड़ा इस देश का सम्मान हुआ है। हिन्दू हुआ न कोई मुसलमान हुआ है। मरकर के देखी ज़िंदगी इक Read More
गीतिका/ग़ज़ल *जयकृष्ण चाँडक 'जय' 19/05/2021 ग़ज़ल आके ख़्वाबों में सताते हैं, चले जाते हैं। रोज़ यूँ नींद उड़ाते हैं, चले जाते हैैं। सोचकर क्या वे हमीं Read More
गीतिका/ग़ज़ल *जयकृष्ण चाँडक 'जय' 18/04/2021 ग़ज़ल आंँधियों से लड़ रहा है दीप इक जलता हुआ, हौसलों से जीत मुमकिन पाठ ये पढता हुआ। साथ मेरे चल Read More
गीतिका/ग़ज़ल *जयकृष्ण चाँडक 'जय' 30/03/2021 ग़ज़ल मेरे साथ चलेंगे क्या? रस्ते और मिलेंगे क्या? बहलाएंगे, फुसलाएंगे, रहबर भी छलेंगे क्या? मन है सारे राज खोल दूं, Read More
गीतिका/ग़ज़ल *जयकृष्ण चाँडक 'जय' 20/03/202130/03/2021 ग़ज़ल दर्द आस – पास में है, मरहम एक गिलास में है। सुनकर ये अच्छा लगा कि, खुशी मेरी तलाश में Read More
गीतिका/ग़ज़ल *जयकृष्ण चाँडक 'जय' 07/03/2021 ग़ज़ल आस से गुज़रो, पास से गुज़रो। शिद्दत वाली, प्यास से गुज़रो। मत रोज़ ही, त्रास से गुज़रो। नाचो – गाओ, Read More
गीतिका/ग़ज़ल *जयकृष्ण चाँडक 'जय' 25/01/202127/01/2021 ग़ज़ल मजबूरियों के साथ हूँ , मैं बेबसों में हूंँ, जीने की आरज़ू है मगर उलझनों में हूंँ। लब पर भी Read More
गीतिका/ग़ज़ल *जयकृष्ण चाँडक 'जय' 09/12/2020 ग़ज़ल रब की ये मंज़ूरी भी हो सकती है। आधी हसरत पूरी भी हो सकती हैं, पहले व्यर्थ समझ छोड़ा हमने Read More
गीतिका/ग़ज़ल *जयकृष्ण चाँडक 'जय' 22/11/202026/11/2020 ग़ज़ल झोपड़ी हो या महल, घर, एक जैसे हो गए, घास की छत, संगमरमर, एक जैसे हो गए। बात मतलब की Read More
गीतिका/ग़ज़ल *जयकृष्ण चाँडक 'जय' 25/10/2020 ग़ज़ल दिन की है कभी और है कभी रात की चिंता, इस बात को छोड़ा तो है उस बात की चिंता। Read More