गीतिका/ग़ज़ल *कालीपद प्रसाद 18/10/201720/10/2017 ग़ज़ल उद्योग हो, भरोसा भी बेहद, अथाह हो मंजिल मिले उसी को सबल जिनमे चाह हो | इंसान की स्वतन्त्र, इबादत Read More
गीतिका/ग़ज़ल *कालीपद प्रसाद 16/10/201720/10/2017 ग़ज़ल हम करे कुछ भला नादान बुरा कहते हैं जख्म पर के दवा को वो जफ़ा कहते हैं | मंत्री बन Read More
गीतिका/ग़ज़लपद्य साहित्य *कालीपद प्रसाद 14/10/2017 ग़ज़ल वो बेरुखी हबीब की’ दिल के सितम हुये रिश्ते तमाम छिन गए’ आशिक अलम हुये | संचार का विकास किया Read More
गीतिका/ग़ज़ल *कालीपद प्रसाद 11/10/201720/10/2017 ग़ज़ल स्वच्छता योजना पहले ही बनाए होते स्वच्छ भारत सजा ये देश निराले होते | एक हो योजना, हर स्थान हो Read More
गीतिका/ग़ज़लपद्य साहित्य *कालीपद प्रसाद 10/10/2017 गजल रहनुमा फ़क्त हवा बाँधते हैं घाव पर इत्र हिना बाँधते है | खुद निभाते नहीं’ वादे कभी भी जनता गर्दन Read More
गीतिका/ग़ज़लपद्य साहित्य *कालीपद प्रसाद 23/09/201723/09/2017 ग़ज़ल ताज़ा’ कानून लाभकारी है घूस खोरों में’ बेकरारी है | देश में आज अंध हैं श्रद्धा अंध विश्वास इक बिमारी Read More
गीतिका/ग़ज़लपद्य साहित्य *कालीपद प्रसाद 19/09/2017 ग़ज़ल रक्षा के’ नाम पर सभी’ लोगों में जोश है पर रहनुमा तमाम अभी तक खमोश हैं | ये जिन्दगी तमाम Read More
गीतिका/ग़ज़लपद्य साहित्य *कालीपद प्रसाद 11/09/2017 ग़ज़ल न जानूँ मैं बताऊँ कैसे’ मन में जो दबाई है जबां पर यह नहीं आती मे’रे खूँ में समाई है Read More
गीतिका/ग़ज़लपद्य साहित्य *कालीपद प्रसाद 09/09/2017 ग़ज़ल तूफ़ान में जलता हुआ दीपक भी’ बुझा है संकेत है’ रक्षा में’ भी’ उस्ताद खुदा है | शोले में’ कशिश-ए-लम्स, Read More
गीतिका/ग़ज़लपद्य साहित्य *कालीपद प्रसाद 22/08/2017 ग़ज़ल बात शिकवे की’ करो तो वो’ खफ़ा होता है किन्तु उनका कहा’ पेंचीदा’ गिला होता है | आड़ होती गो’ Read More