गीतिका/ग़ज़लपद्य साहित्य

ग़ज़ल

रक्षा के’ नाम पर सभी’ लोगों में जोश है
पर रहनुमा तमाम अभी तक खमोश हैं |
ये जिन्दगी तमाम रही मय-ओ-नोश है
वीरान मयकदा से’ दुखी मय फ़रोश है |
इतना प्रचार क्यों नयी’ कानून का अभी
क्या सच नहीं कि यंग नवा-ए-सरोश है |
वो पाँच साल तक नहीं कोई मिले जनाब
अब घूमते यहाँ वहाँ’ खानाबदोश है |
संसार के नियम सभी’ प्रेमी खिलाफ हैं
यां प्रेयसी तमाम बनी बुर्का’ पोश है |
‘काली’ नहीं लिया कभी’ जोखिम वो’ प्यार का
दागे फ़िराके’, वस्ल न जोश-ओ-ख़रोश है |

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शब्दार्थ : मय-ओ-नोश=मदिरा पान की लिप्सा
मयकदा=मदिरालय, मय-फ़रोश=शराब बेचने वाला
यंग=कानून, नवा-ए-सरोश=शुभ सन्देश वाहक
दागे फ़िराके’= वियोग का कष्ट,
वस्ल = मिलन; जोश-ओ-ख़रोश = अत्यधिक
आनंद
कालीपद ‘प्रसाद’

*कालीपद प्रसाद

जन्म ८ जुलाई १९४७ ,स्थान खुलना शिक्षा:– स्कूल :शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय ,धर्मजयगड ,जिला रायगढ़, (छ .गढ़) l कालेज :(स्नातक ) –क्षेत्रीय शिक्षा संस्थान,भोपाल ,( म,प्र.) एम .एस .सी (गणित )– जबलपुर विश्वविद्यालय,( म,प्र.) एम ए (अर्थ शास्त्र ) – गडवाल विश्वविद्यालय .श्रीनगर (उ.खण्ड) कार्यक्षेत्र - राष्ट्रीय भारतीय सैन्य कालेज ( आर .आई .एम ,सी ) देहरादून में अध्यापन | तत पश्चात केन्द्रीय विद्यालय संगठन में प्राचार्य के रूप में 18 वर्ष तक सेवारत रहा | प्राचार्य के रूप में सेवानिवृत्त हुआ | रचनात्मक कार्य : शैक्षणिक लेख केंद्रीय विद्यालय संगठन के पत्रिका में प्रकाशित हुए | २. “ Value Based Education” नाम से पुस्तक २००० में प्रकाशित हुई | कविता संग्रह का प्रथम संस्करण “काव्य सौरभ“ दिसम्बर २०१४ में प्रकाशित हुआ l "अँधेरे से उजाले की ओर " २०१६ प्रकाशित हुआ है | एक और कविता संग्रह ,एक उपन्यास प्रकाशन के लिए तैयार है !