लघुकथा : रूमाल
आज सासु माँ की तेरहवीं है। मेहमानों के बीच उदासी ओढ़कर नकली आँसू बहाते हुए बहू संजना अब उकता गई
Read Moreआज सासु माँ की तेरहवीं है। मेहमानों के बीच उदासी ओढ़कर नकली आँसू बहाते हुए बहू संजना अब उकता गई
Read Moreबेटियों आगे बढ़ो हक़ से हर अधिकार पाने, बेटियों आगे बढ़ो। स्वप्न पूरे कर दिखाने, बेटियों आगे बढ़ो।
Read Moreजिनके मन में सच की सरिता बहती है उनकी कुदरत भी होती हमजोली है जब-जब बढ़ते लोभ, पाप, संत्रास, तमस
Read Moreसिर्फ १५ दिन शेष हैं ‘हिन्दी दिवस’ में… । उस मध्यमवर्गीय, लगभग दो हज़ार रहवासियों वाली सोसाइटी में सुरक्षा कर्मियों
Read Moreजब तलक है दम, कलम चलती रहेगी दर्द दुखियों का गज़ल कहती रहेगी साज़िशें लाखों रचे चाहे समंदर सिर
Read Moreभव्य भारत के फ़लक की, चाँदनी हिन्दी हमारी। कर रही रोशन भुवन को, भारती हिन्दी हमारी। लय सुरों के
Read Moreदेवों में जो प्रथम पूज्य है, शीघ्र सँवारे सबके काम। मंगल मूरत गणपति देवा, है वो पावन प्यारा नाम।
Read Moreजूझती थी बेड़ियों से, जो कभी लाचार हिन्दी। उड़ रही पाखी बनी वो, सात सागर पार हिन्दी। गर्भ से संस्कृत
Read Moreसोने की चिड़िया कभी, कहलाता था देश आई आँधी लोभ की, सोना बचा न शेष। सोना बचा न शेष, पुनः
Read Moreयह भूमि अहा! मम भारत की। सुजला, सुफला, महकी-महकी। इस भू पर जन्म अनंत लिए। सुख सूर्य, अनेक बसंत
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