ग़ज़ल- बहाना चाहिये था
हमारे पास आना चाहिये था. उसे कुछ तो बताना चाहिये था. सही लगता वो चाहे चूक जाता, निशाना तो लगाना
Read Moreहमारे पास आना चाहिये था. उसे कुछ तो बताना चाहिये था. सही लगता वो चाहे चूक जाता, निशाना तो लगाना
Read Moreलोग कितने सवाल करते हैं. ज़िंदगी तक मुहाल करते हैं. जब ज़रूरत हो तब नहीं आते, बाद में देखभाल करते
Read Moreजब दर्दे-दिल गाने निकले. अपनों में बेगाने निकले. एक ज़रा सी बात कही थी, जाने कितने माने निकले. ख़ुद न
Read Moreये बचपन चार दिन का है जवानी चार दिन की है. सही पूछो तो पूरी ज़िंदगानी चार दिन की है.
Read Moreसच्चे को सच्चा लिखता हूँ झूठे को झूठा लिखता हूँ. फिर भी दुनिया ये कहती है इस युग में ऐसा
Read Moreअच्छा हार मान ली हमने लो तुम ही जीते. किसी तरह से मनमुटाव के दिन तो अब बीते. किसने क्या
Read Moreबाधायें तो खड़ी राह में सीना ताने हैं. नीलगगन तक हमको अपने पर फैलाने हैं. गोमुख से गंगासागर तक जाती
Read Moreमैं कहते-कहते हार गया मैं कहते-कहते हार गया. क्यों असरहीन हर बात हुई क्यों कहना सब बेकार गया. पहले मैं
Read Moreये कैसा है सम्मान बंधु ये कैसा है सम्मान बंधु. हमको ही सारे खर्चों का करना होगा भुगतान बंधु. आने-जाने,
Read Moreआज नहीं तो कल नदिया को जाकर सागर से मिलना है. फिर भी इतने नाज़ो-नखरे आख़िर उसकी मर्जी क्या है.
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