ग़ज़ल
राहें जुदा हुई जो अब गुज़र हो कैसे। ताउम्र रहे तड़पते अब बसर हो कैसे। तुम बिन जीने की आदत
Read Moreमंत्री जी बहुत ही जल्दी में दिख रहे थे, शायद कपड़ों पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया था। इसिलिए साधारण घर
Read Moreमानव को अच्छा पहनने और घर में आधुनिक चीज़े लाने का बहुत शोक था, अपनी आय से बड़कर खर्चा करना
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