नील गगन को छूने दो !
न मन में संकोच है, न भावों में आक्रोश है। मन का पंछी न सुने ,दिल का क्या दोष है।
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Read Moreसुनो गर तो आज दिल की बात कहता हूँ! कह न सका जो बरसों वो जज़्बात कहता हूँ! चाँद को
Read Moreबात वतन के हित की हो बस कुछ को तकलीफ़ होती है, हर बात पे बस राजनीति क्या कोई इसकी
Read Moreजब जब दिल बेकरार होता है , कैसे कहें क्या हाल दिल का होता है ! तुम रुठ जाते हो
Read Moreवो जादुई आँखें भूलाये नहीं भूलती ! वो अल्हड़ सी बातें वो न खत्म होती रातें क्या कशिश थी उनमें
Read Moreरीचा बड़े ही प्यार से अपनी गुड़िया को सजा रही थी उसने कितने दिनो से शोर मचाया हुआ था कि
Read Moreहर पल को जी लूं ! कहता है मन कभी कभी तोड़ के बंधन ये अजनबी आज हर पल को
Read Moreअपने ही जब अपनों को छले तो क्या करे कोई! शमां में जानकर परवाना जले तो क्या करे कोई! वक्त़
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